हमर गाम बलियारी

बिहार प्रांत'क मधुबनी जिला में कमला बलान नदी के किनार में अवस्थित अछि ऐतिहासिक प्रखण्ड झंझारपुर। झंझारपुर थाना चौक (पुरानी बाजार) सs 1 किमी पूरब में अवस्थित अछि हमर गाम बलियारी। हरल-भरल खेत खलिहान सs भरल-पूरल एहि ग्राम में आब विकास'क नव धारा सेहो बहि रहल अछि। घर-घर में टेलीफोन आ जेब में मोबाइल सेहो आबि गेल अछि। टेलीविजन'क बात तs आब पुरान भs गेल। आब तs कतेक चार पर डी.टी.एच. सेहो भेटि जायत। गाम तक आब पक्की सडक सेहो बनि गेल अछि। देखिते-देखिते कतेक रास परिवर्त्तन भs गेल। इयह सभ सोचैत एकटा विचार आयल जे विकास'क एहि धारा केँ लाभ उठाबति अपन गाम केँ इंटरनेट पर आनल जाय। गाम में कतेक एहन लोक हेताह जिनका इन्टरनेट के लति लागल हेतन्हि हुनका सभ सs आग्रह जे एहि ब्लॉग पर आउ आ किछु सहयोग करु। जे किछु मोन में आबैत अछि से लिखू, किछु सँस्मरण, किछु लेख आ जे किछु लिखि सकैत अछि। सदस्यता के लेल सम्पर्क करु-
कुन्दन कुमार मल्लिक
मो.- +91-9739004970

Thursday 31 July 2008

परिवार मे एकटा नव सदस्यक आगमन


शीर्षक देखि के त' बुझिये गेल होयब जे बात की छैक। त' चलु स्पष्ट कय दी। आई दिन मे हमर भौजी यानी हमर अग्रज श्री वीरेन्द्र कुमार मल्लिक, जिनक चर्च एहि सँ पहिनुका पोस्ट मे सेहो कएने रही हुनक पत्नी श्रीमती संजना मल्लिक एकटा पुत्री केँ जन्म देलथि। इ दुहु गोटे केँ प्रथम संतान थिक। जन्मक विवरण निम्न अछि:-
दिनांक- ३१ जुलाई, २००८ तदनुसार श्रावण कृष्ण पक्ष चतुर्दशी शक सम्वत १९२९
समय- अपरान्ह ११:३२:००
स्थान- बोकारो (झारखण्ड), अक्षांश- ०२३:५१ उत्तर, रेखांश- ०८६:०२ पूर्व, मानक रेखांश- ०८२:३० पूर्व।
बालिकाक चन्द्रराशि मिथुन आ लग्न तुला राशि मे अछि। जन्मक समय पुनर्वसु नक्षत्र अपन तेसर चरण मे छल।
आउ एहि शुभ अवसर पर सभ केओ नवजात केँ अपन मंगलमय आशीष आ ओकर माता-पिता केँ अपन शुभकामना प्रदान करी।

Sunday 20 April 2008

निका भाई केँ प्रथम वैवाहिक वर्षगाँठ


अहाँ लोकनि सँ गप कयला बहुत दिन भs गेल। सोचलहुँ जे किछु अपनेक लोकनि सँ गप कयल जाय। बंगलोर'क भाग-दौड बला जिनगी सँ तs अपनेक लोकनि अवश्य परिचित होयब। एहिठाम त एतेक समय नहिं भेटति अछि जे किछु अपना बारे में सोचि सकी। लेकिन कहल गेल छैक ने समय निकालय पडैत छैक आ एकटा प्रबल इच्छाशक्ति सँ कतेक रास बात साकार कयल जा सकैत अछि। ताहि लेल सोचलहुँ जे आई जरुर अपनेक लोकनि सँ गप करब। रवि दिन अछि आ कतओ बाहर जाय के सेहो नहिं अछि। फेर सोचलहुँ जे गप कोन विषय में करी। फेर मोन पडल जे आई गाम गेला पूरा एक साल भ गेल। पिछला साल 19 अप्रैल के साँझ में गाम पहुँचल रही आ ओकरा प्राते भेने निका भाई (वीरेन्द्र कुमार मल्लिक) के विवाह छल। 20 अप्रैल के पटना के लेल बाराती प्रस्थान कयलक। फेर ओम्हरे सँ भुवनेश्वर के लेल निकलि गेल छलहुँ। तेखन हमर कार्यस्थल भुवनेश्वर छल। एहि सन्दर्भ में अहाँ सभ सँ पिछला पोस्ट "गाम'क स्मृति में किछु भुलल-बिसरल बात" में गप भेल छल। मतलब इ जे आई निका भाई केँ विवाह'क पूरा एक साल भ गेल आ दोसर शब्द में आई हुनक विवाह'क वर्षगाँठ छियन्हि। जेकरा लोग मैरिज़ एनिवर्सरी सेहो कहैत छैक। ओना कोनो दाम्पत्य जीवन में पहिल वैवाहिक वर्षगाँठ के विशेष महत्त्व होयत छैक, से त अपनेक लोकनि बुझिते होयब। हम त एखन धरि ब्रह्मचर्य धर्म'क पालन कय रहल छी। हा..........हा..............हा..............हा!!!!

खैर छोडू, त बात भ रहल छल निका भाई के विवाह'क। सोचलहुँ एहि लाथे अपनेक लोकनि केँ याद कयल जाए आ संगे-संग हुनका सेहो एहि शुभ अवसर पर किछु उपहार दयल जाए। त हमर इ पोस्ट दुनू पति-पत्नी केँ हमर तरफ सँ उपहार भेल। एकर अर्थ इ नहिं निकालब जे हम बहुत कंजूस छी। यदि किछु आओर उपहार दी त ओ कतेक दिन रहत? मुदा जेखन ओ एहि पोस्ट के देखताह त हुनका अपन विवाह'क गप सभ स्मरण होयय लगतन्हि। त पहिने अपनेक लोकनि केँ हुनक परिचय दय दी।

निका भाई हमर परिवार के ज्येष्ठ पुत्र छथि मतलब इ जे हमर सभ सँ ज्येष्ठ भ्राता। हमर बाबा चारि भाई छलथि। सभ सँ ज्येष्ठ छलथि स्व. श्रीकृष्ण मल्लिक। हुनक बाद क्रमशः स्व. देवकृष्ण मल्लिक, स्व. कुशेश्वर मल्लिक आ सभ सँ छोट स्व. कपिलेश्वर मल्लिक। स्व. श्रीकृष्ण मल्लिक हमर सभ सँ पैघ बाबा छलथि। हुनक संतान अल्पायु में स्वर्ग सिधारि गेलाह। स्व. देवकृष्ण मल्लिक केँ एकगोट पुत्र भेलखिन्ह स्व. गुणानन्द मल्लिक जे फरवरी, 2004 में एहि मर्त्य लोक केँ छोडि गेलाह। तेकर बाद हमर बाबा छलथि स्व. कुशेश्वर मल्लिक जिनक तीन गोट पुत्र भेलखिन्ह। जाहि में श्री कृत्यानन्द मल्लिक, श्री नित्यानन्द मल्लिक आ श्री दीनानन्द मल्लिक। स्व. कपिलेश्वर मल्लिक हमर छोटका बाबा छलथि आ हुनका हम सभ कटिहारबला बाबा सेहो कहैत छलन्हि। हुनक एकग़ोट पुत्र छथिन्ह श्री निरंजन कुमार मल्लिक। आब हिनका लोकनि केँ यदि वरीयता क्रम में राखी तs सभ सँ पैघ हमर पिताश्री श्री कृत्यानन्द मल्लिक छथि आ हुनक बाद स्व. गुणानन्द मल्लिक, श्री नित्यानन्द मल्लिक, श्री दीनानन्द मल्लिक आ सभ सँ छोट श्री निरंजन मल्लिक छथि। एहि में श्री कृत्यानन्द मल्लिक केँ दू गोट पुत्र भेलखिन्ह। जाहि में राकेश कुमार मल्लिक ज्येष्ठ छथि आ हम हुनक अनुज छियन्हि। हुनका सँ छोट छलखिन्ह स्व. गुणानन्द मल्लिक। जिनका छह गोट पुत्र छथिन्ह, जाहि में वीरेन्द्र कुमार मल्लिक, जितेन्द्र कुमार मल्लिक, शैलेन्द्र कुमार मल्लिक, मनीष कुमार मल्लिक, अनीष कुमार मल्लिक आ दर्शन आनन्द। श्री नित्यानन्द मल्लिक केँ एक गोट पुत्र छथिन्ह पंकज कुमार मल्लिक। हुनका सँ छोट छथि श्री दीनानन्द मल्लिक। आलोक मल्लिक आ अमित अभिनन्दन हुनक पुत्र छथिन्ह। आब यदि हिनका लोकनि केँ वरीयता क्रम मे राखी त' सभ स' पैघ भेलथि वीरेन्द्र कुमार मल्लिक तकर पश्चात क्रम सँ पंकज कुमार मल्लिक, जितेन्द्र कुमार मल्लिक, राकेश कुमार मल्लिक, शैलेन्द्र कुमार मल्लिक, आलोक कुमार मल्लिक, कुन्दन कुमार मल्लिक, अमित अभिनन्दन, मनीष कुमार मल्लिक, अनीष कुमार मल्लिक आ सभ सँ छोट दर्शन आनन्द।

Thursday 27 March 2008

गाम'क स्मृति में किछु भूलल-बिसरल बात

तs लिअ हमहुँ एहि ब्लॉग'क दुनिया में अपन नव ब्लॉग लय के आबि गेलहुँ। बहुत दिन सs मोन में एकटा इच्छा छल जे अपना लेल सेहो एकटा ब्लॉग बनाबी। मुदा एहि असमंजस में छलहुँ जे ब्लॉग कोन विषय पर बनाबी। फेर विचार आयल जे एकटा ब्लॉग अपन गाम'क लेल बनाबी। गाम छोडला पाँच-छह भs साल गेल। देखिते-देखिते एतेक साल कोना बीति गेल पतो नहिं चलल। पहिने त गाम जेनाय बराबर होयत छल मुदा जहिया सs नौकरीपेशा भेलहुँ गाम जेनाय कम होयत गेल। पिछला चारि-पाँच साल सs नौकरी में छी। नौकरी'क शुरुआत 3दिसम्बर, 2003 केँ दरभँगा सs प्रारम्भ कयलहुँ। फेर तेकर बाद मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर होयत देवघर (बाबाधाम) पहुँचलहुँ। बाबाधाम में करीब चारि-पाँच महिना रहलहुँ। तेकर बाद हमर प्रवास बनल जमशेदपुर (टाटा) जाहिठाम 21महिना रहलहुँ। जमशेदपुर में रहैत गाम जेनाय होयत छ्ल। जमशेदपुर सs बहुत रास याद जुडल अछि। विशेष कय के किछु जवानी'क जोश में बौरायल अनुभव सभ।

(गामक प्राथमिक विद्यालय)
फेर तकर बाद हमर कार्यस्थल बनल उडीसा राज्य'क राजधानी भुवनेश्वर। जेतय 22 महीना तक रहलहुँ। उडीसा अयला के बाद गाम जेनाय बहुत कम भ गेल। मुदा विधि केँ एतबे सँ संतोष नहिं भेलैक आ हमरा आओर दक्षिण दिशा में धकेलि देलक। सितम्बर' 2007 में हमर नवका कार्यक्षेत्र बनल गाम सँ 3050 किलोमीटर दूर कर्नाटक राज्य के राजधानी 'बंगलोर'। पिछला साल 19 अप्रैल के गाम गेल छलहुँ। नीका भाई (वीरेन्द्र कुमार मल्लिक) केँ विवाह छल। साँझ में 5 बजे के आसपास पहुँचलहुँ आ दोसर दिन बाराती'क लेल प्रस्थान कयलहुँ। मुदा एतबे काल में पूरा गामक परिक्रमा कय लेलहुँ। मुदा आब गाम में ओ बात कहाँ रहल! जे हमर लंगोटिया यार सभ छलथि ओ सभ हमरे जेकाँ बाहर रहय लागल रहथि। कतय बिला गेल ओ क्रिकेट'क जोश ओ पोखरि पर लोक'क जमघट, कतय गेल ओ युनिवर्सिटी (ताश खेलय के जमघट) के बैसकी जाहिठाम गाम आ झंझारपुर'क स्थिति सs लय के राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर एक सs एक बेबाक आलोचना आ समालोचना। ओहि में एहन-एहन टिप्पणी भेटय छल जेकर आगू केहन टीकाकार सभ लजा जैतथि। ओहि ताश'क दलान जे युनिवर्सिटी के नाम स पूरा गाम में प्रसिद्ध छल ओहि में गाम'क सभ वरिष्ठ व्यक्ति सभ बैसय छलथि। आओर संगे-संग बैसय छल नवतुरिया सभ सेहो, जिनक काज होयत छलन्हि पिहकारी मारि के जोश देऔनाइ। युनिवर्सिटी के मुख्य संचालक गण में छलथि नूनू कका, बौआ कका, फूल कका, भगतजी आओर शम्भू भैया। जाहि में बौआ कका आ नूनू कका केँ स्वर्गवास भs गेलन्हि। शम्भू भैया, 'कप्तान साहब' के नाम सs प्रसिद्ध छथि। कियैक इ जे मो. अजहरुद्दीन जेकाँ बलियारी क्रिकेट टीम के सभ सs बेसी काल धरि कप्तान रहलथि। कतेक साल धरि ओ निर्विरोध कप्तान चुनल जैत रहलाह। जेखन बलियारी क्रिकेट अपन अंतिम चरण पर छल तs किछु विद्रोह के लाभ उठबैत हमर अग्रज राकेश बाबू "भाई साहब" टीम केँ कप्तान बनलाह। किछु टूर्नामेंट में सेहो टीम'क प्रदर्शन प्रशंसनीय रहल। जेतय तक हमरा मोन परैत अछि टीम किछु कप सेहो जितने छल। मुदा ताबैत टीम'क पतन शुरु भs गेल छल जेकर कारण टीम'क प्रदर्शन नहिं छल आ इयहो कारण नहिं छल जे टीम में कोनो फूट छल। एकमात्र कारण छल बेहतर भविष्य केँ खोज में अधिकांश खिलाडी केँ गाम छोडि देनाय। देखिते-देखिते सभ केओ गाम छोडि के चलि गेलथि। आओर अपन समय के एकटा प्रतिष्ठित टीम विघटित भs गेल।

हूँ तs गप्प भs रहल छल युनिवर्सिटी के जेतय गाम'क बुद्धिजीवी'क जमघट लागैत छल। आब उहो जमघट के रंग जा चुकल छल। वृद्ध आ वरिष्ठ सदस्य के संगे-संग किछु नवयुवक सभ आब सेहो ओहि में छलथि। जाहि में हमर टोल सs गुड्डू बाबू "गुरुजी" आ बच्चा बाबू प्रमुख छलथि। हमर राकेश बाबू सेहो किछु दिन ओहि मंच'क शोभा बढेलथि। मुदा एकर परिस्थिति'क मजबूरी कहू आ की बेहतर भविष्य के प्रति सजगता जे समय हुनका जमशेदपुर में पटकि देलकन्हि। पिछला तीन साल सs ओ एतय छथि आ अपन कमप्युटर हार्डवेयर एवम् नेटवर्किंग केँ अपन शिक्षा पूरा कय के ओहिठाम कार्यरत छथि। ओहि युनिवर्सिटी में खेलनाय साधारण बात नहिं छल। एक तs ओहि में प्रवेश के लेल कठोर नियम छल। जाहि में सर्वप्रथम नियम छल जे पहिने अहाँ के कम-सँ-कम महीना-दू महीना नित्य अपन उपस्थिति दर्ज कराउ। तेकर बाद एकर दोसर स्तर छल जेखन सन्चालकगण केँ इ विश्वास भs जायत छल जे अहाँ प्रतिदिन क्लास कय रहल छी तेखन अहाँ के कोनो हाथ खतम भेला पर ओहि पर अपन टिप्पणी प्रस्तुत कय सकैत छी। जेना केओ जितलथि तs किऐक जितलाह आ यदि हारलाह तs ओकर कारण की छल। एहि सभ केँ उपरांत होयत छल ओहि उम्मीदवार द्वारा देल गेल टिप्पणी'क समीक्षा। इ सभ सँ महत्त्वपूर्ण चक्र होयत छल। एहि में पास कएला के बाद एहि बात केँ निर्णय होयत छ्ल जे अहाँ एहि युनिवर्सिटी में खेलय के योग्य छी की नहिं। यदि संचालकगण केँ निर्णय अपनेक पक्ष में भेल तs नामांकन शुल्क केँ रुप में ताश'क एकटा नवका गड्डी देबय पडैत छलैक। ओहि के लेल बजार जाय के कोनो आवश्यकता नहिं छल। लगे में दासजी आ पुन्नु बाबू'क दोकान छल। एकर उपरांत ओहि नवका खिलाडी केँ छाती'क धडकन बढि जायत छल। कियैक इ जे जेखन ओकरा खेलय के मौका भेटति छलैक तs ओकर हरेक चाल पर दिग्गज प्रोफेसर महोदय सभ केँ ध्यान रहैत छल। कोनो साधारण गलती पर जे डाँट-फटकार परैत छल तेकर कल्पना मात्र सs केओ नवसिखुआ'क होश उडि जायत छलैक। हमरा याद अछि जे राकेश बाबू आ गुड्डू बाबू कतेक बेर एहन फटकार खयने हेताह। विशेष कय केँ फूलकका आ नूनूकका सँ। एहि राउंड में यदि अपनेक प्रदर्शन सँ प्रोफेसरगण प्रभावित नहिं भेलाह त फेर दोसर मौका भेटय के लेल कम-सँ-कम एक-दू महीना'क प्रतीक्षा करय पडत।

आब ओ दलान सूनि अछि जेतय ओ युनिवर्सिटि'क रंग जमय छलैक। कतय गेला ओ लोक सभ जे एहि मन्च'क शोभा छलथि। जे केओ बचल छथि ओ अपन वृद्ध आँखि सँ रस्ता केँ निहारि रहल छथि। अतीत अपन भविष्य'क बाट जोहि रहल अछि। आब त कतेक रास घर सुन्न अछि। दोसर केँ उदाहरण की दी, स्वयं अप्पने हमर घर पर पिछला दू साल सs ताला पडल अछि। पापाजी नेपाल में कार्यरत छथि आ माँ हुनका संगे ओतय अछि। भाई साहब जमशेदपुर में आ हम एहिठाम बंगलोर में छी। आब त गाम-घर में कोनो काज करय के लेल जन नहिं भेटति अछि। मान्यता बदलि रहल अछि। केखनो काल कें एहि चकाचौन्ध'क नगरी में घुटन होयत अछि। मोन करैत अछि जे सभ किछु छोडि के गाम चलि जाय। मुदा अपन कर्त्तव्यबोध एकर आज्ञा नहिं दैत अछि। जेखन बहुत निराश भs जायत छी तेखन अपन माटि-पानी केँ याद कय के मोन के बहला लैत छी। मुदा एहि बात केँ विश्वास अछि जे एक दिन फेर हम वापस जायब आ फेर अपन गाम'क दर्शन होयत।