अहाँ लोकनि सँ गप कयला बहुत दिन भs गेल। सोचलहुँ जे किछु अपनेक लोकनि सँ गप कयल जाय। बंगलोर'क भाग-दौड बला जिनगी सँ तs अपनेक लोकनि अवश्य परिचित होयब। एहिठाम त एतेक समय नहिं भेटति अछि जे किछु अपना बारे में सोचि सकी। लेकिन कहल गेल छैक ने समय निकालय पडैत छैक आ एकटा प्रबल इच्छाशक्ति सँ कतेक रास बात साकार कयल जा सकैत अछि। ताहि लेल सोचलहुँ जे आई जरुर अपनेक लोकनि सँ गप करब। रवि दिन अछि आ कतओ बाहर जाय के सेहो नहिं अछि। फेर सोचलहुँ जे गप कोन विषय में करी। फेर मोन पडल जे आई गाम गेला पूरा एक साल भ गेल। पिछला साल 19 अप्रैल के साँझ में गाम पहुँचल रही आ ओकरा प्राते भेने निका भाई (वीरेन्द्र कुमार मल्लिक) के विवाह छल। 20 अप्रैल के पटना के लेल बाराती प्रस्थान कयलक। फेर ओम्हरे सँ भुवनेश्वर के लेल निकलि गेल छलहुँ। तेखन हमर कार्यस्थल भुवनेश्वर छल। एहि सन्दर्भ में अहाँ सभ सँ पिछला पोस्ट "गाम'क स्मृति में किछु भुलल-बिसरल बात" में गप भेल छल। मतलब इ जे आई निका भाई केँ विवाह'क पूरा एक साल भ गेल आ दोसर शब्द में आई हुनक विवाह'क वर्षगाँठ छियन्हि। जेकरा लोग मैरिज़ एनिवर्सरी सेहो कहैत छैक। ओना कोनो दाम्पत्य जीवन में पहिल वैवाहिक वर्षगाँठ के विशेष महत्त्व होयत छैक, से त अपनेक लोकनि बुझिते होयब। हम त एखन धरि ब्रह्मचर्य धर्म'क पालन कय रहल छी। हा..........हा..............हा..............हा!!!!
खैर छोडू, त बात भ रहल छल निका भाई के विवाह'क। सोचलहुँ एहि लाथे अपनेक लोकनि केँ याद कयल जाए आ संगे-संग हुनका सेहो एहि शुभ अवसर पर किछु उपहार दयल जाए। त हमर इ पोस्ट दुनू पति-पत्नी केँ हमर तरफ सँ उपहार भेल। एकर अर्थ इ नहिं निकालब जे हम बहुत कंजूस छी। यदि किछु आओर उपहार दी त ओ कतेक दिन रहत? मुदा जेखन ओ एहि पोस्ट के देखताह त हुनका अपन विवाह'क गप सभ स्मरण होयय लगतन्हि। त पहिने अपनेक लोकनि केँ हुनक परिचय दय दी।
निका भाई हमर परिवार के ज्येष्ठ पुत्र छथि मतलब इ जे हमर सभ सँ ज्येष्ठ भ्राता। हमर बाबा चारि भाई छलथि। सभ सँ ज्येष्ठ छलथि स्व. श्रीकृष्ण मल्लिक। हुनक बाद क्रमशः स्व. देवकृष्ण मल्लिक, स्व. कुशेश्वर मल्लिक आ सभ सँ छोट स्व. कपिलेश्वर मल्लिक। स्व. श्रीकृष्ण मल्लिक हमर सभ सँ पैघ बाबा छलथि। हुनक संतान अल्पायु में स्वर्ग सिधारि गेलाह। स्व. देवकृष्ण मल्लिक केँ एकगोट पुत्र भेलखिन्ह स्व. गुणानन्द मल्लिक जे फरवरी, 2004 में एहि मर्त्य लोक केँ छोडि गेलाह। तेकर बाद हमर बाबा छलथि स्व. कुशेश्वर मल्लिक जिनक तीन गोट पुत्र भेलखिन्ह। जाहि में श्री कृत्यानन्द मल्लिक, श्री नित्यानन्द मल्लिक आ श्री दीनानन्द मल्लिक। स्व. कपिलेश्वर मल्लिक हमर छोटका बाबा छलथि आ हुनका हम सभ कटिहारबला बाबा सेहो कहैत छलन्हि। हुनक एकग़ोट पुत्र छथिन्ह श्री निरंजन कुमार मल्लिक। आब हिनका लोकनि केँ यदि वरीयता क्रम में राखी तs सभ सँ पैघ हमर पिताश्री श्री कृत्यानन्द मल्लिक छथि आ हुनक बाद स्व. गुणानन्द मल्लिक, श्री नित्यानन्द मल्लिक, श्री दीनानन्द मल्लिक आ सभ सँ छोट श्री निरंजन मल्लिक छथि। एहि में श्री कृत्यानन्द मल्लिक केँ दू गोट पुत्र भेलखिन्ह। जाहि में राकेश कुमार मल्लिक ज्येष्ठ छथि आ हम हुनक अनुज छियन्हि। हुनका सँ छोट छलखिन्ह स्व. गुणानन्द मल्लिक। जिनका छह गोट पुत्र छथिन्ह, जाहि में वीरेन्द्र कुमार मल्लिक, जितेन्द्र कुमार मल्लिक, शैलेन्द्र कुमार मल्लिक, मनीष कुमार मल्लिक, अनीष कुमार मल्लिक आ दर्शन आनन्द। श्री नित्यानन्द मल्लिक केँ एक गोट पुत्र छथिन्ह पंकज कुमार मल्लिक। हुनका सँ छोट छथि श्री दीनानन्द मल्लिक। आलोक मल्लिक आ अमित अभिनन्दन हुनक पुत्र छथिन्ह। आब यदि हिनका लोकनि केँ वरीयता क्रम मे राखी त' सभ स' पैघ भेलथि वीरेन्द्र कुमार मल्लिक तकर पश्चात क्रम सँ पंकज कुमार मल्लिक, जितेन्द्र कुमार मल्लिक, राकेश कुमार मल्लिक, शैलेन्द्र कुमार मल्लिक, आलोक कुमार मल्लिक, कुन्दन कुमार मल्लिक, अमित अभिनन्दन, मनीष कुमार मल्लिक, अनीष कुमार मल्लिक आ सभ सँ छोट दर्शन आनन्द।
खैर छोडू, त बात भ रहल छल निका भाई के विवाह'क। सोचलहुँ एहि लाथे अपनेक लोकनि केँ याद कयल जाए आ संगे-संग हुनका सेहो एहि शुभ अवसर पर किछु उपहार दयल जाए। त हमर इ पोस्ट दुनू पति-पत्नी केँ हमर तरफ सँ उपहार भेल। एकर अर्थ इ नहिं निकालब जे हम बहुत कंजूस छी। यदि किछु आओर उपहार दी त ओ कतेक दिन रहत? मुदा जेखन ओ एहि पोस्ट के देखताह त हुनका अपन विवाह'क गप सभ स्मरण होयय लगतन्हि। त पहिने अपनेक लोकनि केँ हुनक परिचय दय दी।
निका भाई हमर परिवार के ज्येष्ठ पुत्र छथि मतलब इ जे हमर सभ सँ ज्येष्ठ भ्राता। हमर बाबा चारि भाई छलथि। सभ सँ ज्येष्ठ छलथि स्व. श्रीकृष्ण मल्लिक। हुनक बाद क्रमशः स्व. देवकृष्ण मल्लिक, स्व. कुशेश्वर मल्लिक आ सभ सँ छोट स्व. कपिलेश्वर मल्लिक। स्व. श्रीकृष्ण मल्लिक हमर सभ सँ पैघ बाबा छलथि। हुनक संतान अल्पायु में स्वर्ग सिधारि गेलाह। स्व. देवकृष्ण मल्लिक केँ एकगोट पुत्र भेलखिन्ह स्व. गुणानन्द मल्लिक जे फरवरी, 2004 में एहि मर्त्य लोक केँ छोडि गेलाह। तेकर बाद हमर बाबा छलथि स्व. कुशेश्वर मल्लिक जिनक तीन गोट पुत्र भेलखिन्ह। जाहि में श्री कृत्यानन्द मल्लिक, श्री नित्यानन्द मल्लिक आ श्री दीनानन्द मल्लिक। स्व. कपिलेश्वर मल्लिक हमर छोटका बाबा छलथि आ हुनका हम सभ कटिहारबला बाबा सेहो कहैत छलन्हि। हुनक एकग़ोट पुत्र छथिन्ह श्री निरंजन कुमार मल्लिक। आब हिनका लोकनि केँ यदि वरीयता क्रम में राखी तs सभ सँ पैघ हमर पिताश्री श्री कृत्यानन्द मल्लिक छथि आ हुनक बाद स्व. गुणानन्द मल्लिक, श्री नित्यानन्द मल्लिक, श्री दीनानन्द मल्लिक आ सभ सँ छोट श्री निरंजन मल्लिक छथि। एहि में श्री कृत्यानन्द मल्लिक केँ दू गोट पुत्र भेलखिन्ह। जाहि में राकेश कुमार मल्लिक ज्येष्ठ छथि आ हम हुनक अनुज छियन्हि। हुनका सँ छोट छलखिन्ह स्व. गुणानन्द मल्लिक। जिनका छह गोट पुत्र छथिन्ह, जाहि में वीरेन्द्र कुमार मल्लिक, जितेन्द्र कुमार मल्लिक, शैलेन्द्र कुमार मल्लिक, मनीष कुमार मल्लिक, अनीष कुमार मल्लिक आ दर्शन आनन्द। श्री नित्यानन्द मल्लिक केँ एक गोट पुत्र छथिन्ह पंकज कुमार मल्लिक। हुनका सँ छोट छथि श्री दीनानन्द मल्लिक। आलोक मल्लिक आ अमित अभिनन्दन हुनक पुत्र छथिन्ह। आब यदि हिनका लोकनि केँ वरीयता क्रम मे राखी त' सभ स' पैघ भेलथि वीरेन्द्र कुमार मल्लिक तकर पश्चात क्रम सँ पंकज कुमार मल्लिक, जितेन्द्र कुमार मल्लिक, राकेश कुमार मल्लिक, शैलेन्द्र कुमार मल्लिक, आलोक कुमार मल्लिक, कुन्दन कुमार मल्लिक, अमित अभिनन्दन, मनीष कुमार मल्लिक, अनीष कुमार मल्लिक आ सभ सँ छोट दर्शन आनन्द।
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